ISSN- 2278-4519
PEER REVIEW JOURNAL/REFEREED JOURNAL
RNI : UPBIL/2012/44732
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नागार्जुन के काव्य में विम्ब विधान योजना एक दृष्टि:

नागार्जुन के काव्य में विम्ब विधान योजना एक दृष्टि:

डा0 योगेश चन्द्र यादव
असिस्टेंट प्रोफेसर (हिन्दी विभाग)
डी0ए0वी0 (पी0जी0) कालेज
बुलन्दषहर

सारांष

बिम्ब का सामान्य अर्थ होता है छाया प्रतिछाया (सिम्बल) अनुकृति या शब्दों के द्वारा भावांकन। इस प्रकार हम काव्य में बिम्ब को परिभाषिक रूप देते हुए कह सकते हैं कि बिम्ब किसी पदार्थ की अनुकृति है। मूर्त या दृश्य प्रत्यांकन है। काव्य बिम्ब शब्दार्थ के माध्यम से कल्पना द्वारा निर्मित एक ऐसी मानस छवि है जिसके मूल में भावना की प्रेरणा रहती है।
काव्य की रचना में जब रचनाकार की भावना को इन्द्रिय द्वारा ग्रहण करना सम्भव होता है तब उस रचना में बिम्बात्मकता को समावेश बनाया जाता है। स्पष्ट है कि कला में भावना की अभिव्यक्ति की प्रक्रिया जिस माध्यम से होती है उसे हम बिम्ब कह सकते हैं। बिम्ब मूर्त का प्रतिरूप है। किन्तु जब हम साहित्य में बिम्ब को व्याख्यायित करते हैं तो वह कवि कल्पना के सहारे यथार्थ के सहारे अधिक मूर्तमान प्राणवान और मूल्यवान हो जाता है। लोकोन्मुख बिम्ब कविता को लोकग्राही और लोकप्रिय बनाने में बहुत सहायक होते हैं। बिम्ब निर्माण की प्रक्रिया कवि की भावना और कल्पना की प्रतिच्छाया होती है। भाव हृदय के भीतर भिन्न-भिन्न प्रकार की कल्पनाओं को जन्म देते हैं। ये कल्पनाएँ स्वयं को व्यक्त करने के लिए विभिन्न आकारों का सहारा लेती हैं। इन सूक्ष्म रूपाकारों को बिम्ब के अर्थ में ग्रहण किया जाता है। बिम्ब का तात्पर्य रूप का मानसिक साक्षात्कार है जो इन्द्रियों के माध्यम से प्रभावित करता है। बिम्ब योजना काव्य का दृश्य विधान है। क्योंकि कविता श्रव्य काव्य है अतः उसकी दृश्य या बिम्ब योजना इस प्रकार की होनी चाहिए कि पाठक या श्रोता को काव्य पाठ के समय कविता के अन्तरंग बिम्बों में बैठकर उसकी अनुभूति को हृदयस्थ करने के कवियों का अनुभव न होकर सहज ही उन दृश्यों में बैठने के रोमांस का अनुभव होने लगा।
नागार्जुन ने पौराणिक तथा ऐतिहासिक प्रतीकों का प्रयोग एक नये संदर्भ में किया है और संदर्भ के साथ-साथ उनका अर्थ भी बदल गया है। पारम्परिक प्रतीकों के माध्यम से उन्होंने समसामयिक वैश्विक समस्याओं का संप्रेषण किया है।
फिर भी इतना तो मानना पड़ेगा कि आजादी के बाद के शोषित वर्ग की जो सच्ची तस्वीर उन्होंने जो अपने काव्य के माध्यम से पेश की है वह एक मशाल है – उसके माध्यम से भावी पीढ़ी आज के भारत के विभिन्न परिदृश्यों को देख सकती है।

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