डाॅ0 भारत सिंह ;प्राचार्य
सरदार भगत सिंह संघटक राजकीय महाविद्यालय
पुवायां शाहजहांपुर
भारत की चुनाव प्रक्रिया को मजबूत करने के लिये कौन.से प्रमुख सुधार किये गए हैं
मतदाता सूची प्रबंधन चुनाव आयोग ने 476 निष्क्रिय पंजीकृत गैर.मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ;RUPPs की पहचान की हैए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राजनीतिक दलों की सूची सटीक और अद्यतन बनी रहे। चार राज्यों में उपचुनावों से पहले विशेष संक्षिप्त संशोधन के माध्यम से मतदाता सूचियों को संशोधित किया गयाए जो दो दशकों में इस तरह की पहली कवायद थी। इसके अलावाए बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए और कोई भी अपात्र नाम न रह जाए।
देश भर में डुप्लिकेट EPICमतदाताद्ध कार्ड समाप्त कर दिये गएए जिससे प्रत्येक मतदाता को एक विशिष्ट पहचान संख्या मिल गई और मतदाता सूचियों में त्रुटियाँ कम हो गईं।
– प्रौद्योगिकी.संचालित पारदर्शिता और निगरानीः चुनाव आयोग ने म्ब्प्छम्ज् नामक एक वन.स्टाॅप डिजिटल प्लेटफाॅर्म लाॅन्च किया हैए जो निर्वाचकोंए मतदाताओंए चुनाव अधिकारियों और राजनीतिक दलों द्वारा उपयोग किये जाने वाले 40 से अधिक अनुप्रयोगों और वेबसाइटों को एक साथ लाता है। निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर चुनाव संबंधी डेटा को अधिक सुलभ बनाने के लिये डिजिटल इंडेक्स कार्ड और रिपोर्ट शुरू की गईंए जिससे सूचित निर्णय लेने में सहायता मिली। प्रमुख गतिविधियों पर नजर रखने तथा मतदान प्रक्रिया को सुचारू रूप से तथा बिना किसी उल्लंघन के संपन्न कराने के लिये मतदान केंद्रों की 100प्रतिशत वेबकास्टिंग लागू की गई।
– बूथ स्तर पर सुधारः क्षेत्र स्तर पर पारदर्शिता में सुधार लाने और चुनाव प्रक्रिया में जनता का विश्वास बढ़ाने के लिये बूथ स्तर के अधिकारियों ;ठस्व्द्ध को मानक फोटो पहचान पत्र जारी किये गए। मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या 1ए200 तक सीमित कर दी गईए जिससे भीड़ कम हुईए कतारें छोटी हुईं और ऊँची आवासीय परिसरों और सोसाइटियों में अतिरिक्त बूथ बनाने की अनुमति मिली।
– मतदाता सत्यापन और सटीकताः फाॅर्म 17ब् ;मतदान केंद्र पर दर्ज मतों का लेखा.जोखाद्ध और म्टड डेटा के बीच बेमेल के मामलों मेंए और जहाँ भी माॅक पोल डेटा मिटाया नहीं गया थाए वहाँ टटच्।ज् पर्ची की गिनती अनिवार्य रूप से लागू की गईए ताकि मतगणना की सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके।
2ण् भारत की निर्वाचन प्रक्रिया के सामने प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैंघ्
– चुनाव व्यय में वृद्धिः चुनावों में वास्तविक व्यय और कानूनी रूप से निर्धारित सीमा के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है। उम्मीदवार और राजनीतिक दल अक्सर निर्धारित खर्च सीमा से अधिक व्यय कर देते हैंए जिससे व्यय की कम रिपोर्टिंग और छायात्मक वित्तपोषण ;ेींकवू पिदंदबपदहद्ध होता है।यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है और काले धन के निर्माण में योगदान करता है।
– राजनीति का अपराधीकरणः कई आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार चुनाव लड़ते और जीतते हैंए क्योंकि राजनीतिज्ञ.अपराधी संबंध धन एवं शक्ति पर आधारित होता है। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों मेंए 543 नए निर्वाचित सांसदों में से 251 ;46प्रतिशतद्ध के विरुद्ध आपराधिक मामले दर्ज हैं।
– मतदाता अधिकार हनन और मतदान प्रतिशत की समस्याएँः सुदृढ़ चुनावी मशीनरी के बावजूदए नकली मतदानए मतदाता सूची में नाम न होना और नगरीय क्षेत्रों में कम मतदान जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। आंतरिक प्रवासीए वरिष्ठ नागरिक और विशेष आवश्यकता वाले लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करने में बाधाओं का सामना करते हैंए जिससे समावेशिता अप्रभावी बन जाती है।
– फ्रीबीजध्मुतखोरी की राजनीति और लोकलुभावन वादेः चुनावों के दौरान अस्थिर फ्रीबीजध्मुत सुविधाओं की बढ़ती संस्कृति वित्तीय अनुशासन और जिम्मेदार शासन को अप्रभावी करती है। मतदाता दीर्घकालिक विकासात्मक एजेंडों की बजाय तात्कालिक लाभों से प्रभावित होते हैं। स्पष्ट दिशा.निर्देशों की अनुपस्थिति के कारण कल्याणकारी योजनाओं और वित्तीय लोकलुभावनवाद के बीच अंतर करना कठिन हो जाता है।
– चुनावी हिंसा और बूथ.स्तरीय संवेदनशीलताएँः यद्यपि कम हुई हैए फिर भी कभी.कभी हिंसाए मतदाताओं को डराने.धमकाने की घटनाएँ और बूथ.स्तरीय मतदान पैटर्न का खुलासा अभी भी होता है। संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों में अपर्याप्त बूथ प्रबंधन स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को कमजोर करता है। टोटलाइजर मशीनों की अनुपस्थिति समुदायों को चुनाव.परांत प्रतिशोध के खतरे के प्रति और अधिक असुरक्षित बनाती है।
– प्रौद्योगिकीय और साइबर खतरेः सोशल मीडिया पर डीप फेकए भ्रामक जानकारी और एल्गोरिदम.आधारित हेर.फेर का उभरना चुनावी निष्पक्षता के लिये एक नई तरह का खतरा प्रस्तुत करता है।
– मतदाता सूची में हेर.फेरः मतदाता सूची में छल.कपट के आरोप और विभिन्न राज्यों में दोहराए गए म्च्प्ब् नंबर मतदाता सूची की विश्वसनीयता और जनविश्वास को कमजोर करते हैं।
– दल.आंतरिक लोकतंत्र की कमीः राजनीतिक दल अत्यधिक केंद्रीकृत एवं अपारदर्शी तरीके से कार्य करते रहते हैंए जहाँ वंशवादी प्रभुत्वए पारदर्शी उम्मीदवार चयन की कमी तथा जवाबदेही की दुर्बलता बनी रहती है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है और वास्तविक नेतृत्व के उभरने में बाधा उत्पन्न करता है।
3- भारत के चुनावी प्रणाली को और अधिक सशक्त करने के लिये क्या कदम उठाने की आवश्यकता हैघ्
स चुनावी वित्त सुधारः द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ; की सिफारिशानुसार वैध व्ययों की प्रतिपूर्ति सहित आंशिक राज्य वित्तपोषण लागू करनाय निर्धारित सीमा से अधिक दान का अनिवार्य डिजिटल प्रकटीकरण सुनिश्चित करनाय गुमनाम काॅर्पोरेट वित्तपोषण पर नियंत्रण हेतु प्रभावी विनियमनय सुदृढ़ आॅडिट तंत्र की स्थापना तथा धनबल पर अंकुश और मतदाता विश्वास को प्रबल बनाने के लिये एक सार्वजनिक चुनाव व्यय पोर्टल की व्यवस्था करना। इसके अतिरिक्तए राजनीतिक दलों को सूचना का अधिकार अधिनियमए 2005 के अंतर्गत लाने पर भी विचार किया जाना चाहिये।
-आंतरिक पार्टी लोकतंत्र का संवर्द्धनः राजनीतिक दल लोकतंत्र की आधारशिला होते हैंए किंतु अधिकांश दल अब भी बंदए परिवार.प्रधान इकाइयों के रूप में कार्य करते हैं। कानून में नियमित आंतरिक चुनावए पारदर्शी उम्मीदवार चयन प्रक्रिया और आॅडिटेड पार्टी संविधान को अनिवार्य किया जाना चाहिये। इसके अतिरिक्तए विधि आयोग की वर्ष 1999 की रिपोर्ट ने आंतरिक पार्टी लोकतंत्र को सुनिश्चित करने हेतु एक नियामक ढाँचा प्रस्तावित किया था।
– डिजिटल अभियान और डीपफेक को विनियमित करना सभी राजनीतिक विज्ञापनों में ;प्रायोजकए वित्तपोषण स्रोत और भू.लक्ष्यीकरणद्ध से संबंधित पहचान योग्य प्रकटीकरण लेबल को अनिवार्य किया जाए। वास्तविक समय में सोशल मीडिया को स्कैन करने के लिये एक राष्ट्रीय डीपफेक डिटेक्शन सेल ;आईआईटी और सीईआरटी.इन के साथद्ध की स्थापना करनी चाहिये। अनुपालन न करने वाले प्लेटफाॅर्म के लिये दंड के साथ सख्त निष्कासन प्रोटोकाॅल लागू करना चाहिये। एल्गोरिथम संबंधी पूर्वाग्रहए डीपफेक और गलत सूचनाओं का मुकाबला करने के लिये मतदाता साक्षरता अभियान शुरू करना चाहिये।
– म्ब्प् को मजबूत करनाः चुनाव आयोग को पूर्ण वित्तीय स्वायत्तता दी जाए और उसका बजट सीधे भारत की संचित निधि से आवंटित किया जाए। स्थायी कर्मियों से युक्त क्षेत्रीय चुनाव आयोग प्रकोष्ठए भारत के विशाल निर्वाचन क्षेत्रों में प्रभावी और सुदृढ़ निगरानी सुनिश्चित कर सकते हैं। संसदीय समितियों द्वारा चुनावी प्रक्रियाओं की नियमित निष्पादन लेखापरीक्षा से विश्वसनीयता बढ़ेगी तथा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों के संरक्षक के रूप में भारत निर्वाचन आयोग को मजबूती मिलेगी। चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखनेए हितों के टकराव को समाप्त करनेए केंद्र एवं राज्य सरकारों पर निर्भरता घटाने और स्वायत्तता व निष्पक्षता सुनिश्चित करने हेतु ईसीआई को अधिकारियों का एक स्थायी एवं स्वतंत्र कैडर स्थापित करना चाहिये।
स निर्वाचन प्रक्रिया सुधारः बूथ.स्तरीय मतदान पैटर्न के खुलासे को रोकने के लिये पूरे देश में टोटलाइजर मशीनों के उपयोग का विस्तार किया जाएगाए ताकि वोटों को बूथ स्तर पर मिश्रित किया जा सके। एक समान मतदाता सूची सुनिश्चित करनी चाहियेए आदर्श आचार संहिता का कड़ाई से पालन करना चाहिये तथा समान अवसर बनाए रखने और मतदाताओं का विश्वास बढ़ाने के लिये अभियान की अवधि को सीमित करना चाहिये।
स समकालिक एवं सतत् चुनावों की ओरः ष्ष्एक राष्ट्रए एक चुनावष्ष् की अवधारणा को स्थानीय और राज्य स्तर पर प्रायोगिक रूप से लागू किया जाए। दोहराव कम करने के लिये एक स्थायी राष्ट्रीय मतदाता सूची और एक समान मतदाता पहचान.पत्र लागू करने चाहिये।
स एक साथ होने वाले चुनावों से होने वाली बचत को शासन की ओर पुनर्निर्देशित करना चाहिये तथा धीरे. धीरे लागत.कुशलए समय.कुशल और शासन.अनुकूल चुनावों के लिये एक निश्चित चुनावी कैलेंडर लागू करना चाहिये।
4- निष्कर्ष
सुदृढ़ लोकतंत्र की आधारशिला उसकी चुनावी व्यवस्था की मजबूती में निहित होती है। इसके लिये संस्थागत स्वतंत्रता को सशक्त बनानाए पारदर्शिता को बढ़ावा देनाए मतदाता भागीदारी का विस्तार करनाए दलों के भीतर लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करना तथा आधुनिक तकनीक का समुचित उपयोग करना आवश्यक है। इन्हीं समग्र और सतत् प्रयासों के माध्यम से भारत अपनी चुनावी प्रणाली की अखंडताए विश्वसनीयता एवं निष्पक्षता सुनिश्चित कर सकता है तथा एक सशक्त और जीवंत लोकतंत्र की भावना को वास्तविक रूप में बनाए रख सकता है।
संदर्भ ग्रंथ सूची
1- कुमार- सुमित, भारत में चुनाव सुधारए इन्टरनेशनल जर्नल आफ रिसर्च ;ISSN: 2348-6848
2- वर्णवाल, महेश कुमार, भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्थाए कासमाॅस पब्लिकेशनए दिल्ली, 2017
3- कश्यप, सुभाष, दलबदल व राज्य की राजनीतिए श्रीवाली प्रकाशन, मेरठ, 1970, पृष्ठ.156
4- नरूलाए बी सीए भारतीय राजनीति, अर्जुन पब्लिसिंग हाउसए नई दिल्लीए प्रथम संस्करण, 2016
5- विशेष चुनाव सुधार.दृष्टि the Vission
6- संसद टीवी संवाद
7- चुनाव सुधार विकीपीडिया
8- पत्र पत्रिकाएं