ISSN- 2278-4519
PEER REVIEW JOURNAL/REFEREED JOURNAL
RNI : UPBIL/2012/44732
We promote high quality research in diverse fields. There shall be a special category for invited review and case studies containing a logical based idea.

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समाजवादी विचारक डाॅ0 राम मनोहर लोहिया का भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका थी। डाॅ0 लोहिया लघु उद्योग, कुटीर उद्योगों पर आधारित अर्थव्यवस्था का समर्थन किया करते थे। उनका विचार था कि इस व्यवस्था में अल्प पूंजी के द्वारा भी श्रमशक्ति का अधिकाधिक उपयोग किया जा सकता है और छोटी पूंजी वाले भी मालिक बन सकते है। भारत ने समता एवं सम्पन्नता की नई समाजवादी व्यवस्था की स्थापना के लिए समर्पित रहे। डाॅ0 लोहिया आजीवन समाज के शोषित, पिछड़े व मजदूरों को उनके हक दिलाने के लिए संघर्ष करते रहे।समाजवादी विचारक डाॅ0 राम मनोहर लोहिया का भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका थी। डाॅ0 लोहिया लघु उद्योग, कुटीर उद्योगों पर आधारित अर्थव्यवस्था का समर्थन किया करते थे। उनका विचार था कि इस व्यवस्था में अल्प पूंजी के द्वारा भी श्रमशक्ति का अधिकाधिक उपयोग किया जा सकता है और छोटी पूंजी वाले भी मालिक बन सकते है। भारत ने समता एवं सम्पन्नता की नई समाजवादी व्यवस्था की स्थापना के लिए समर्पित रहे। डाॅ0 लोहिया आजीवन समाज के शोषित, पिछड़े व मजदूरों को उनके हक दिलाने के लिए संघर्ष करते रहे।डाॅ राम मनोहर लोहिया ने समाजवाद की परिभाषा ’’समानता एवं सम्पन्नता’’ ऐसे दो गम्भीर शब्दों में देकर गागर में सागर भर दिया है। देश काल के अनुसार सम्भव मतलब और आदर्श के अनुसार सम्पूर्ण मतलब। समानता डाॅ0 लोहिया के समाजवाद का सार है किन्तु उनकी समानता केवल आर्थिक क्षेत्र तक सीमित न थी। वह प्रत्येक क्षेत्र में समानता को भावी भारत के नव निर्माण की आधारशिला बनाना चाहते थे, उनके समाजवाद के मुख्य तीन तत्व थे- सभी उद्योगों का राष्ट्रीयकरण, समूचे विश्व में जीवन स्तर का सुधार और विश्व संसद की स्थापना। डाॅ0 लोहिया का विचार था कि समाजवाद की बुनियाद, संभव बराबरी, छोटी मशीने, सामाजिक मिल्कियन, चैखम्भा राज्य और विश्व राज्य, इस सिद्वान्तों पर निर्भर है, और वह अपने उद्देश्य संभव हो तो मत द्वारा, आवश्यक हो तो शान्तिपूर्ण संघर्ष द्वारा तथा सर्वत्र रचनात्मक कार्य द्वारा हासिल करना चाहता है। डाॅ0 लोहिया का उद्देश्य भी वर्गरहित समाज की स्थापना करना था किन्तु जहाॅं कार्ल माक्र्स और एंगेल्स केवल आर्थिक हितो को वर्ग निर्माण का कारण समझ, उसका अंत करना चाहते हैं वहाॅं डाॅ0 लोहिया आर्थिक हितों के साथ-साथ जाति और भाषा के भेद को भी वर्गभेद का मुख्य कारण मानते हैं। लोहिया जी का विचार था कि भारतवर्ष में विशेषाधिकारों को जन्म देने में जाति, भाषा और सम्पत्ति का प्रमुख हााथ रहा है। अतः केवल सम्पत्ति ही नहीं जाति और भाषा के भेद के आधार पर निर्मित वर्गों का भी अंत करना डाॅ0 लोहिया के समाजवाद का मुख्य उद्देश्य है। जिस प्रकार व्यक्तिवाद का मूलमंत्र स्ववन्त्रता है, उसी प्रकार ’समानता’ समाजवाद का मूलमंत्र है। योग्यता के अन्तर को तो समाजवादी भी स्वीकार करते हैं और वे यह भी मानते है कि पूर्व समानता अनुचित, अनावश्यक और असंभव है किन्तु साथ ही साथ उनका लक्ष्य एक ऐसे वातावरण का निर्माण करना है जिसमें प्रत्येक को उन्नति के समान अवसर प्राप्त हो सके और जहाॅं तक संभव हो सके, मनुष्य-मनुष्य के बीच ऐसी अवस्थाएं न रहें कि कुछ लोग बिना कार्य किये ही जीवित रहें और कुछ काम करने पर भी न जी सकें।

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