भारत में ग्राम पंचायत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, उद्भव एवं विकास
डाॅ0 डी0 आर0 यादव
अध्यक्ष-राजनीति विज्ञान विभाग बरेली काॅलेज, बरेली
सारांष
भारत एक विशाल देश है जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है और क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व में सातवें स्थान पर है। कई सभ्यताऐं एवं संस्कृति हमारे देश से निकलकर विदेशों में गयीं। भारत एक लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था वाला देश है भारत नगरीय एवं ग्रामीण सभ्यताओं के मिश्रण से बना है, इसलिए भारत को गाँवों का देश भी कहा जाता है। गांधी जी ने अपने आदर्श गाँव की परिकल्पना में ग्राम पंचायत को समाहित किया। उन्होंने यह विचार किया कि आदर्ष भारतीय गाँव इस तरह बसाया तथा बनाया जाना चाहिए जिससे वह सम्पूर्णता निरोग रह सके। इसके झोपडे़ और मकानों में काफी प्रकाश व वायु आ सके। सबके लिए प्रार्थना घर या मन्दिर हो, सार्वजनिक सभा आदि के लिए अलग स्थान हो, गाँव की अपनी गोचर भूमि हो तथा गाँव के अपने मामलों को निपटारा करने के लिए एक ग्राम पंचायत भी हो। अपनी जरूरतों के लिए अनाज, सब्जी, फल, आदि आदि खुद गाँव में ही पैदा हो। एक आदर्श गाँव की मेरी अपनी कल्पना है।
स्वतन्त्र भारत में ‘पंचायतों’ के स्वरूप एवं महत्व को इंगित करते हुए गाँधी जी ने धारणा प्रस्तुत की कि स्वतन्त्रता का अर्थ हिन्दुस्तान के आम लोगों की आजादी होनी चाहिए आजादी नीचे से शुरू होनी चाहिए। हर गाँव को अपने पैरों पर खड़ा होना होगा। अपनी आवश्यकताओं को खुद पूरी करनी होगी जिससे वह आत्म निर्भर हो सके।
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