डाॅ0 डी0 आर0 यादव
अध्यक्ष-राजनीति विज्ञान विभाग बरेली काॅलेज, बरेली
भारत एक विशाल देश है जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है और क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व में सातवें स्थान पर है। कई सभ्यताऐं एवं संस्कृति हमारे देश से निकलकर विदेशों में गयीं। भारत एक लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था वाला देश है भारत नगरीय एवं ग्रामीण सभ्यताओं के मिश्रण से बना है, इसलिए भारत को गाँवों का देश भी कहा जाता है।
लोकतांत्रिक व्यवस्था का स्वरूप भारत के प्रत्येक व्यक्ति के रूप में विद्यमान है, इसको ग्रामीण स्तर पर स्थानीय स्वशासन के रूप में भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली द्वारा प्रदान किया गया है, जिसके प्रत्येक भारत के निवासी चाहें वह नगर का हो, या गाँव का हो, लोकतन्त्र की विकेन्द्रीकरण प्रक्रिया के द्वारा सभी व्यक्ति भारत के प्रत्यक्ष लोकतन्त्र के आधार स्तम्भ है क्योंकि शासन व्यवस्था की अन्तिम शक्ति जनता है। भारत में ‘पंचायत राज’ शब्द का आशय ग्रामीण स्थानीय सरकार व्यवस्था से है भारत में ग्राम पंचायतों का इतिहास बहुत प्राचीन है। प्राचीन समय में आपसी मतभेद तथा झगड़ों का फैसला पंचायतें ही करती थीं परन्तु अँग्रेजी राज्य में पंचायतों की स्थापना की ओर ध्यान दिया। इसकी पहल का श्रेय पण्डित नेहरू को है। 1952 में उन्हीं के पहल पर सामुदायिक विकास कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ।1
वैदिक काल में प्रजातांत्रिक व्यवस्था का उत्कृष्ट प्रमाण हमें प्राप्त होता है। ऋग्वेद में भी ग्राम तथा ग्राम व्यवस्था का वर्णन किया गया है, अर्थर्वेद में भी ग्राम तथा सभा का विस्तृत वर्णन मिलता है साथ ही साथ व्रम्हपुराण, नारदपुराण, धर्म सूत्रों से ज्ञात होता है कि प्राचीन व्यवस्था में प्रजातन्त्र का स्वरूप विद्यमान रहा है। प्राचीन काल में राजा सर्वोपरि होता था उसका कर्तव्य होता था कि वह अपनी प्रजा के कल्याण हेतु कार्य करें तथा उसके राज्य की जनता सुखी रहे। राजा ने ग्राम व्यवस्था के अन्तर्गत ग्राम के अधिकारी नियुक्त कर उन्हें अधिकार प्रदान किये थे। महाभारत काल में ग्राम व्यवस्था का उत्कृष्ट उदाहरण मिलता है, इस काल में,-10 ग्राम, 20 ग्राम, 100 ग्राम तथा 1000 ग्राम व उनके ऊपर अधिकारियों के पद थे जो राजा को समस्त सूचनाएँ प्रदान करते थे, इस काल में व्याख्यान देते हैं तथा वहाँ वह ग्राम तथा ग्राम के पंचों के कार्यो के बारे में पूछते हैं।
गांधी जी ने अपने आदर्श गाँव की परिकल्पना में ग्राम पंचायत को समाहित किया। उन्होंने यह विचार किया कि आदर्ष भारतीय गाँव इस तरह बसाया तथा बनाया जाना चाहिए जिससे वह सम्पूर्णता निरोग रह सके। इसके झोपडे़ और मकानों में काफी प्रकाश व वायु आ सके। सबके लिए प्रार्थना घर या मन्दिर हो, सार्वजनिक सभा आदि के लिए अलग स्थान हो, गाँव की अपनी गोचर भूमि हो तथा गाँव के अपने मामलों को निपटारा करने के लिए एक ग्राम पंचायत भी हो। अपनी जरूरतों के लिए अनाज, सब्जी, फल, आदि आदि खुद गाँव में ही पैदा हो। एक आदर्श गाँव की मेरी अपनी कल्पना है।
स्वतन्त्र भारत में ‘पंचायतों’ के स्वरूप एवं महत्व को इंगित करते हुए गाँधी जी ने धारणा प्रस्तुत की कि स्वतन्त्रता का अर्थ हिन्दुस्तान के आम लोगों की आजादी होनी चाहिए आजादी नीचे से शुरू होनी चाहिए। हर गाँव को अपने पैरों पर खड़ा होना होगा। अपनी आवश्यकताओं को खुद पूरी करनी होगी जिससे वह आत्म निर्भर हो सके।
Timely publication plays a key role in professional life. For example timely publication...
Individual authors are required to pay the publication fee of their published
Start with OAK and build collection with stunning portfolio layouts.