डाॅ0 रूबी सिद्दीकी
असिस्टेन्ट प्रोफेसर, रक्षा अध्ययन विभाग
बरेली कालेज बरेली
भारत पाकिस्तान सम्बन्धों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमिभारत पाकिस्तान सम्बन्धों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि माउण्ट बेटेन योजना के अन्तर्गत धर्म के नाम पर दो स्वतन्त्र राष्ट्रों भारत और पाकिस्तान का निर्माण हुआ। विभाजन के समय लगभग सभी रियासतों ने अपनी इच्छानुसार भारत और पाकिस्तान मे ंअपना विलय करा लिया। लेकिन तीन रियासते ऐसी थी जिन्होने न तो पाकिस्तान मे और न ही भारत में मिलने की घोषणा की यह रियासते थी हैदराबाद कश्मीर और जूनागढ़ हैदराबाद और जूनागढ का सरदार बल्लभ भाई पटेल के प्रयासों से भारत में विलय हो गया। परन्तु कश्मीर ने दोनों राष्ट्रो में से किसी एक में भी मिलने की घोषणा नही की विभाजन के तुरन्त बाद पाकिस्तान ने कश्मीर को अपने में मिलाने के लिये कबाइलियों के जरिये आक्रमण किया पाकिस्तान सेना समर्थित कबाइली जिनकी सख्या लगभग 20,000 थी कश्मीर में आगे बढ़ने लगे इस पाकिस्तानी कबायली आक्रमण की गम्भीरता को देखते हुये कश्मीर के राजा हरिसिंह ने भारत से मद्द मांगी शारत ने कहा वह उनकी मद्द जब करेगा जब कश्मीर भारत का अंग होगा। अतः इन इस बातों के मद्दे नज़र कश्मीर के राजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को विलय पत्रक पर हस्ताक्षर कर दिये और अब कश्मीर भारत का अभिन्न अगं बन गया इस तरह कानूनी और सवैधार्मिक रूप से भारत में विलय हो गया। परन्तु जम्मूकश्मीर भारत का अभिन्न अंग तो बन गया। परन्तु अस्थायी और संक्रमण कालीन विशेष उपबन्ध सम्बन्धी अनुभागके अनुच्छेद 370 के अन्तर्गत जम्मू कश्मीर को विशेष अधिकार दे दिये गये। जैसे- संसद को रक्षा विदेश संचार जैसे मामलों में दखल देने का अधिकार है परन्तु राज्य के मौलिक अधिकार राज्य के अधिकार क्षेत्र के अन्तर्गत आते है। जम्मू कश्मीर राज्य का अपना अलग-झंडा और प्रतीक चिन्ह है। भारतीय नागरिक भारत के तो नागरिक है। परन्तु वह जम्मू कश्मीर में नागरिकता प्राप्त नहीं कर सकते हैं। जबकि इसके विपरीत जम्मू कश्मीर के नागरिक अपने राज्य और भारत दोनों के ही नागरिक होगे कहने का तात्पर्य यह है। यहां के नागरिको को दोहरी नागरिकता प्राप्त है। कुछ राष्ट्रवादी दलों का यह कहना है। इस अनुच्छेछ 370 के कारण ही जम्मू कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को जम्न मिला। धर्म के नाम पर दो राष्ट्रों का विभाजन और कश्मीर विवाद ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद सीमावर्ती इलाकों में भूभागों को लेकर कई तरह की गम्भीर समस्याओं को जन्म दे दिया उत्तरी पश्चिमी सीमा जो पाकिस्तान से लगती है। वह निर्धारित की गयी स्थिति से हट गयी जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तान ने अपने दावे को तीव्रता के साथ पेश करके पाकिस्तानी स्वतन्त्रता सघंर्ष से जोड़कर एक गम्भीर सघंर्ष को जन्म दिया और साथ ही पाकिस्तान जैसे नवस्वतन्त्र राष्ट्र को मिलने वाले क्षेत्रों में जन्मू कश्मीर को प्रस्तुत किया पाकिस्तान ने अपनी इस राजनीतिक चाल के तहत अपने राष्ट्र के अन्दर अपने राष्ट्र की जनता को इस ओर आकर्षित किया जिसके परिणाम स्वरूप कश्मीर में आतकंवादी गतिविधिया तीव्रता के साथ पनपने लगी। जिन्होंने भारत जैसे शातिप्रिय देश के लिये एक गम्भीर चुनौती पैदा कर दी और जिसका प्रभाव भारत और पाकिस्तान सम्बन्धों में प्रतिकूलता के साथ आज तक बना रहा है। कश्मीर विवाद वह विवाद है जो नवस्वतन्त्र राष्ट्र भारत को अपनी स्वतन्त्रा की प्रारिम्भक अवस्था में प्राप्त हो गया था जिसे वह आज तक हल नही कर पाया है। इस विवाद को लेकर देश के अन्दर समय-समय पर आन्तिरक उपद्रव कलह विशेषकर अलवाद की मांग जोर पकड़ती रही है। और भारत की शांति व सुरक्षा के लिये एक बड़ा खतरा बना गया। कच्छ का विवादः- पाकिस्तान ने कच्छ के रण को लेकर एक योजना तैयार की जिसके अन्तर्गत पाकिस्तान द्वारा भारत को कच्छ में उलझाकर कश्मीर में धुसपैठ तथा विप्लवी गतिविधियों का प्रयोग करके इस क्षेत्र को अपने में मिलाने की कोशिश की गयी पाकिस्तान को इस बात का पूरी तरह विश्वास था कि आक्रमण के समय कश्मीर की जनता पाकिस्तान का साथ देगी और भारत जैसा देश अन्तर्राष्ट्रीय युद्ध विराम की सीमाओं का उल्लघन कदापि नहीं करेगे। इस योजना को क्रियान्वित करने के लिये पाकिस्तान ने भारतीय नेतृत्व का ध्यान कच्छ की ओर आकर्षित किया और इस क्षेत्र के लगभग 8000 वर्ग मील के भूभाग पर अपना दावा पेश किया लेकिन ब्रिटेन की मध्यस्ता के कारण जुलाई 1965 में कच्छ समझौता हो गया तथा इसके साथ ही युद्धविराम की भी घोषण कर दी गयी जिसके तीन प्रमुख बिन्दु थे।े भारत और पाकिस्तान (दोनो पक्षों ) के बीच युद्ध विरामे दोनों राष्ट्र अपनी-अपनी सेनाओं को सीमा से हटा लेगें। े और इस सीमा विवाद के निपटारे के लिये एक न्यायधिकरण की स्थापना अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होगी जिसमें 350 वर्गमील क्षेत्र पाकिस्तान को देने की बात को स्वीकार किया गया। पाकिस्तान द्वारा जम्मू कश्मीर में कार्यवाही (1965 का युद्ध) अभी कच्छ का समझौता हुआ था कि पाकिस्तान ने अगस्त 1965 में लगभग 5000 सेना को लेकर भारत पर आक्रमण कर दिया पाकिस्तान की इस विप्लवी व तोड़फोड़ की कार्यवाही को आपरेशन जिब्राल्टर से सबोधित किया गया भारतीय सेनाओं में भी इन आक्रमणकारियों का डट कर मुकाबला किया और करारा जबाब दिया आपरेशन जिब्राल्टर के तहत पाकिस्तानी सैनिक 470 मील लम्बी युद्ध विराम रेखा को पार करते हुए भारतीय सीमा में प्रवेश कर गये इनका उद्देश्य संचार साधनों को नष्ट करना तोड़फोड की कार्यवाहियां करना, कश्मीर जनता को सशस्त्र विद्रोह के लिये उकसाना सरकारी इमारतों को नुकसान पहुचाना, था परन्तु भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान के इस आक्रमण को विफल कर आपरेशन जिब्राल्टर को भी पूरी तरह विफल कर दिया। अतः पाकिस्तान ने 1 सितम्बर 1965 को छम्ब सेक्टर पर आक्रमण किया जिसे पाकिस्तान ने आपरेशन ग्रैण्डस्लैम कहा। भारत पाकिस्तान सेनाओं के बीच जम्मू कश्मीर की सीमाओं पर लगभग 23 दिन तक युद्ध चला 22 सितम्बर 1965 को यू0एन0ओ0 की दखल पर युद्ध विराम लागू हुआ। यह समझौता भारत के प्रधानमत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री अयूब खां के बीच रूस के शहर ताशकंद में 10 जनवरी 1966 को हुआ इस समझौते के अनुसार यह तय हुआ कि भारत और पाक अपनी शक्ति का प्रयोग न करके अपने झगड़ों का समाधान शान्तिपूर्ण ढंग से करेंगें।1971 का भारत पाकिस्तान युद्धः- इस युद्ध का भारत में सैकड़ों बांग्लादेशियों की शरण लेने की समस्या से जन्म हुआ था जहाँ भारत के सामने एक ओर अपने अस्तित्व को खतरे से बचाना था। वही दूसरी तरफ बांग्लादेश की जनता को अन्याय, अपमान, और शोषण से बचाकर एक सम्मान जनक स्थिति में पहुचाना था। अन्याय और शोषण को खत्म करना था भारत के विभाजन के पश्चात पूर्वी पाकिस्तान व पश्चिमी पाकिस्तान दोनों में सास्कृतिक, भाषाई, राजनीतिक और क्षेत्रीय असामनता होने के बाद भी दोनों प्रथक प्रथक भूभागों को केवल एक ही राष्ट्र की मान्यता प्रदान की गयी थी जो बहुत लम्बे समय तक व्याप्त नही रह सकती थी दोनों ही भू भागों के मध्य मतभेदों में तीव्रता आने लगी पश्चिमी पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान पर अन्याय पूर्ण और भेदभाव की नीतियों को अपनाने लगा और साथ ही राजनीतिक सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक, प्राशसनिक दृष्टि से पूर्वी पाकिस्तान में गम्भीर भेदभाव किया गया। 3 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान ने भारतीय सैनिक केन्द्रो पर आक्रमण करके युद्ध का प्रारम्भ कर दिया भारत में आपात काल की घोषणा कर दी गयी लगभग आधी रात के बाद भारतीय युद्धक विमानों ने उड़ाने भर कर पाकिस्तान पर सशक्त हमला बोल दिया भारतीय युद्धक विमानों की बमबर्षा के कारण कुछ ही समय में पूर्वी पाक वायुसेना की आक्रमण क्षमता समाप्त हो गयी 14 दिन तक चले इस भीषण युद्ध में अधिकाश लड़ाईयाँ पश्चिमी मोर्चे पर हुयी 16 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तानी कमाण्डर जनरल नियाजी ने जनरल अरोड़ा के समक्ष आत्मसर्मपण किया जो कि भारत की एक बड़ी विजय थी।- शिमला समझौताः- 2 जुलाई 1972 को भारत और पाकिस्तान के मध्य शिमला समझौता हुआ जिसमें निम्न बिन्दुओं पर समझौता हुआ इसमें यह प्रावधपान था कि दोनों देश अपने सघंर्ष और विवाद टालने का प्रयास करेंगें।- दोनों एक दूसरे के विरूद्ध बल प्रयोग नही करेंगे और प्रादेशिक अखण्डता की अवहेलना नही करेंगें।- दोनों के बीच संचार सम्बन्ध फिर से स्थापित किये जायेगें- विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में आपसी आदान प्रदान होगा।- युद्ध विराम रेखा को नियन्त्रण रेखा की मान्यता दी गयी और यह तय हुआ दोनों देश की सेनायें अपनी अपनी सीमाओं में वापस लोट जायेगी।- भविष्य में दोनों सरकारों के अध्यक्ष मिलते रहेगें दोनो देशों के मध्य सम्बन्ध सामान्य बनाने के लिये अधिकारी बात चीत करते रहेगें। 1999 का कारगिल संघर्षः- कारगिल कश्मीर घाटी और सियाचिन और लद्दाख की सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। 1965 के युद्ध में भी पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठ कश्मीर से की थी 1998 के परमाणु परक्षिणों के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों ही राष्ट्र नवीन परमाणु शस्त्रों से सुसज्जित थे। करगिल संघर्ष नियन्त्रण रेखा से 200 किमी0 के दायरे में लड़ा गया बटालिक द्रास मुश्कोह घाटी टाइगरहिल इत्यादि पर लड़ाईयाँ हुयी और 1971 के युद्ध की तरह कारगिल संघर्ष में भी पाकिस्तान सेना बुरी तरह पराजित हुयी यह संघर्ष भारत के लिये परिणाम की दृष्टि से निर्णायक सिद्ध हुआ और इसे आपरेशन विजय का नाम दिया गया यह संघर्ष 74 दिन तक चला था। कारगिल संघर्ष जैसी घटना दोबारा भविष्य में न दोहराई जाये इसके लिये रक्षा विशेक्षज्ञ के0 सुब्राह्मण्यम् की अध्यक्षा में एक कमेटी का गठन किया गया। जिसने कई सुझाव दिये।- भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को मजबूत और सक्रिय बनाया जाना चाहिये जैसा कि पश्चिमी राष्ट्रों में भी इस तरह की कमेटी गठित होती रही है।- सूचना प्राप्ति के लिये सूचना केन्द्रों को गठित किया जाना चाहिये ताकि- सभी प्रकार की सूचनायें बाहय और आन्तरिक सूचनाओं को सग्रहीत किया जा सके।- कारगिल जैसे दुर्गम और कठिन भू भागों में सैन्य सक्रिया सचालित करने के लिये उपकारणों आयुद्धों इत्यादि पर ध्यान दिया जाये।- सेना के आधुनिकीकरण और स्वदेशीकरण के लिये धन व्यय करने का सुझाव दिया गया इसके अतिरिक्त सेना के सक्रियात्मक प्रबन्धन से जुडे़ मामलों आदि पर भी सुझाव दिये गये।सियाचिन ग्लैशियरः- सियाचिन ग्लैशियर हिमालय की पूर्वी काराकोरम पर्वत माला में भारत और पाकिस्तान नियन्त्रण रेखा पर स्थित लगभग एन0 जे0 9842 (भारत पाकिस्तान युद्ध विराम लाइन जो नियन्तत्रण रेखा की पक्ति के रूप में भी जाना जाता है।) बिन्दू पर है कार्टोग्राफिक त्रुटि और शिमला समझौते का उल्लघन, 1984 में भारत ने एक सैन्य अभियान के तहत आपरेशन मेघदूत किया। जिसमें सियाचिन के सभी उपदण्डों को रेखाकित किया गया इस ग्लैशियर पर 1984 और 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच कई झडपे हुयी है। आपरेशन मेघदूत के तहत भारतीय सैनिकों ने साल्टोरोरिज की अधिकतर ताकत भर पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया। भारत ने 1980 के सैन्य अभियानों की वजह से 1,000 वर्ग मील प्राप्त (3,000 किमी) प्राप्त किया इस ग्लेशियर के एक तरफ पाकिस्तान की सीमा तो दूसरी तरफ चीन की सीमा लगती है। दोनों देश इस पर नजर रखते है। अतः यह भारत की सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। 1984 में पाकिस्तान इस पर कब्जा करना चाहता था इस कब्जे को रोकने के लिये भारत ने आपरेशन मेघदूत किया शिमला समझौते में यह नहीं बताया गया कि इस ग्लैशियर में भारत और पाकिस्तान की सीमा कहां होगी बल्कि इसे बेजान और बजंर इलाका बताया गया इसी कारण पाकिस्तान ने इस पर अपना अधिकार जमाना शुरू कर दिया ग्लैशियर के ऊपरी भाग पर आज भारत का और नीचे वाले भाग पर पाकिस्तान का कब्जा माना जाता है।भारत पाकिस्तान के मध्य पाक अधिकृत कश्मीरः- 1947 के भारत और पाकिस्तान के युद्ध के तहत यह हिस्सा कुछ अलग सा हो गया था और इस भाग की सीमा गिलगित तथा बालतिस्तान से मिलती है। सयुक्त राष्ट्रसंघ और अन्य अन्तर्राष्ट्रीय संघ इसे पाक शासित कश्मीर कहते है। पाक अधिकृत कश्मीर में अराजकता की स्थिति है। जिसका प्रभाव कश्मीर के साथ पूरे भारत पर पड़ रहा है। इस क्षेत्र की अलगावावादी गतिविधियों मे ंपाकिस्तान से समर्थन तथा सहायता मिलती रही है। भौगोलिक दृष्टि से गिलगित और बालतिस्तान जिस पर 1947 के युद्ध से पाकिस्तान का अवैध कब्जा है भारत की सुरक्षा के मद्देनज़र बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। कश्मीर का यह बड़ा भाग राजनीतिक दृष्टि से भी उपेक्षित रहा है। पी0ओ0के0 पर पाकिस्तान द्वारा नियन्त्रण स्थापित करने के बाद से ही पाकिस्तान ने अपनी दृष्टि जम्मू कश्मीर पर केन्द्रित करना शुरू कर दी थी। पाकिस्तान लगातार जम्मूकश्मीर के अन्दर संकट की स्थिति उत्पन्न करता रहा है। जो कि भारत के लिये एक गम्भीर चुनौती के रूप में सामने आती रही है। इस क्षेत्र में लगातार मानवाधिकारों का भी उल्लघन होता रहा है। यहां की जनता को 2009 में मत देने का अधिकार उस समय मिला जब उनमें भारी असतोष की स्थिति बढ़ने लगी थी। पुलवामा में श्रीनगर जम्मू राजमार्ग पर जा रहे सी0आर0पी0एफ जावनो ंपर 14 फरवरी 2019 को जैश ए मोहम्मद (आतंकवादी संगठन) ने जो हमला किया उसमें 40 जबान शहीद हुये यह एक बड़ी आतकवादी घटना थी जो भारत की सुरक्ष के लिये एक गम्भीर चुनौती के रूप में भारत के सामने आयी 16 सितम्बर 2016 को भारतीय सेना के मुख्यालय पर एक आतकवादी हमला जिसे उड़ी हमलें के नाम से जाना जाता है, किया गया था। आपरेशन सर्जिकल स्ट्राइकः- सितम्बर 2016 को भारत और पाकिस्तान के मध्य आपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक हुआ यह एक ऐसी सैन्य कार्यवाही थी जिसमें एक से अधिक सैन्य लक्ष्यों को नुकसान पहुचाया गया था भारतीय सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर 7 आतकी शिविरो को ध्वस्त किया था साथ ही 38 आतकवादियों को मार दिया था। यह आपरेशन भारत द्वारा इसलिये किया गया था क्योंकि पाकिस्तान लगातार सीजफायर का उल्लघन कर रहा था। दूसरा आपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक भारत द्वारा पुलवामा हमले के बाद किया गया जिसमें भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि अगर कोई भी देश उसकी सुरक्षा के लिये खतरा उत्पन्न करता है तो भारत उसका करारा जबाव देने के लिये तत्पर तैयार है। क्योंकि भारत शक्ति की मजबूत नीति के साथ शान्ति स्थापित करने के कला को जानता है।कश्मीर समस्या के समाधान के सुझावः- इस समस्या के समाधान के लिये निम्न बिन्दुओं पर विचार किया जा सकता है।े भारत और पाकिस्तान के मध्य सास्कृतिक आदान प्रदान कश्मीर समस्या के समाधान तथा अन्य क्षेत्रों में संवाद होते रहना चाहिये क्योंकि संवाद हीनता से समस्या का समाधान नही हो सकता है।े पाक अधिकृत कश्मीर जहाँ जनता के मनवाधिकारों का धनघोर उल्लघंन हो रहा है भारत को विश्व जनमासत के सामने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इस चुनौती को मजबूती के साथ पेश करना चाहिये।े भारत द्वारा ऐसे अभियान चलाये जाये जिससे कश्मीर की जनता स्वयं को भारत के नागरिकों से अलग न माने बल्कि वह स्वयं को भारत के अन्य सभी नागरिकों की तरह माने।े कश्मीर की सभ्यता, सास्कृतिक, आदान प्रदान के कार्यक्रम भारत के अन्य प्रातों के सभ्यता और सास्कृतिक आदान प्रदान के कार्यक्रमांे को गम्भीरता के साथ किया जाना चाहिये।े कश्मीर में बड़ी सख्या में उधम लगाये जाये वहां रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर उलब्ध किये जाये।े कश्मीर घाटी में शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए शिक्षित जनता को वहकाना कठिन होता है। इसके विपरीत अशिक्षित जनता का वुद्धि परिवर्तन आसान होता है।े भारत को पाक के साथ बैठकर इस बात पर गम्भीरता से बात करनी होगी इस क्षेत्र में व्याप्त आतकवाद दोनों ही राष्ट्रों के अस्तित्व के लिये एक चुनौती बनता जा रहा है।े इस समस्या के समाधान के साथ ही दोनों देशों को आतंकवाद को खत्म करने के लिये मिलजुल कर कार्य करने चाहिये।े दोनों देश के नेतृत्व और राजनीतिकज्ञों को इस समस्या के समाधान के लिये एक दूसरे की तकलीफो को तथा दर्द को समझना होगा जब तक दोनों एक दूसरे पर आरोप और दोषारोपण करते रहेगें तब तक सवादवादिता भी केवल सवांद शून्यता के अलावा और कुछ भी सावित नहीं कर सकेगी।े धारा 370 पर पुनः विचार किया जायेे उपरोक्त सम्भावनाओं को साकार करने के लिये भारत और पाकिस्तान दोनों को सबल और सामूहिक प्रयास करने होगें। सन्दर्भ-गन्थ सूची1. स्वतन्त्र भारत की युद्धकला सिंह टण्डन अग्रवाल पेज नं 20,21,17,34,58,80,812. वल्र्ड फोकस सितम्बर 2017 पेंज नं0 22-233. हिन्दी दैनिक अमर उजाला- 20 फरवरी 20194. राष्ट्रीय सुरक्षा के मूलाधार डाॅ0 बाबूराम पाण्डेय, डाॅ. राम सूरत पाण्डेय5. राष्ट्रीय सुरक्षा डाॅ0 अशोक कुमार सिंह
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