ISSN- 2278-4519
PEER REVIEW JOURNAL/REFEREED JOURNAL
RNI : UPBIL/2012/44732
We promote high quality research in diverse fields. There shall be a special category for invited review and case studies containing a logical based idea.

मतदान व्यवहार – क्षेत्र अध्ययन जैदपुर विधानसभा क्षेत्र बाराबंकी

डॉ. कौशलेंद्र कुमार सिंह
एसोसिएट प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग
जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल परास्नातक महाविद्यालय
बाराबंकी
डॉ. हेमंत सिंह
एसोसिएट प्रोफेसर, समाज शास्त्र विभाग
जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल परास्नातक महाविद्यालय
बाराबंकी

1. भूमिका
भारत में चुनाव विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के जीवन्तता का प्रमाण है। संविधान की प्रस्तावना में प्रयुक्त शब्द श्हम भारत के लोग’ लोकतंत्र की मूल भावना को प्रकट करता है। भारत में जब हम चुनाव की बात करते है तो हम करोड़ों लोगों के प्रतिनिधित्व की बात करते हैं क्योंकि यह दुनिया का सबसे बड़ी जनसंख्या का लोकतांत्रिक देश है। पूरी दुनिया में भारत के अलावा कोई देश नहीं है जहाँ पर आम चुनाव में 80 करोड़ से ऊपर लोग मतदान करते हैं। इतनी बड़ी आबादी को निर्वाचन की मुख्य धारा में लाना एक व्यवस्था के लिये बहुत बड़ी चुनौती है। भारत विविधताओ से भरा देश है जहाँ भिन्न-भिन्न सांस्.तिक पहचान, सामाजिक, जातिगत, भाषाई भौगोलिक विविधता रूप-रंग, मान्यताएँ, परम्परा इत्यादि चीजों में एक दूसरे के बीच बहुत गहरा अंतर संजोये हुए हैं। इन विविधताओं के बावजूद उत्तर से दक्षिण तथा पूरब से पश्चिम तक जो चीज सबको जोड़े एवं पिरोये है वो है लोकतंत्र के प्रति लोगों का प्रेम। विषम भौगोलिक और मौसमी परिस्थितियों के बावजूद वर्षा, सूखा, ठण्ड और गर्मी की विषमता जैसी चुनौतियो को तिलांजलि देते हुए भारतीय लोकतंत्र ने प्रत्येक नागरिक को उसके अधिकारों में कटौती किए बिना निर्वाचन प्रक्रिया प्रत्येक व्यक्ति के द्वार तक पहुंचाई है वो चाहे दुर्गम पहाड़ियों से भरा अरुणाचल प्रदेश ,लद्दाख, हिमाचल प्रदेश हो या रेत से भरा गर्मी वाला राजस्थान हो, दक्षिण में बसे राज्य हो, भारत की निर्वाचन प्रक्रिया ने हर क्षेत्र में निर्वाचन को सम्भव बनाया है और आज भी निरन्तर प्रगतिशील है इन्ही सब परिस्थितियो में भारत के लोगों ने और विशेषकर जैदपुर विधानसभा के लोगों ने काफी संजीदा मतदान व्यवहार किया है।
2. शोध परिकल्पना
आज जब हम आजादी के 74 वर्ष पूरे कर चुके है भारतीय निर्वाचन प्रक्रिया में सुधार अनवरत जारी है। जिसमें निष्पक्ष तरीके से मतदान व्यवहार हेतु संवैधानिक व्यवस्था उपलब्द है परन्तु इन सबके बावजूद भारतीय राजनीति में धर्म, वंश, जाति, वर्ग, क्षेत्र और लिंग भेद का इतना अधिक प्रभाव है कि इससे मतदान व्यवहार बहुत ही अधिक प्रभावित होता है। ऐसे में इस बात पर विचार किया जाना आवश्यक हो जाता है कि वो कौन से उपाय किए जाए जिससे कि मतदान व्यवहार निष्पक्ष और नैतिक हो ।
3. शोध पद्धति
शोध में प्राथमिक एवं द्वितीयक स्त्रोतों से निगमानात्मक पद्धति से तथ्यों का विश्लेषण किया गया है। दैव निदर्शन पद्धति से आँकडों का संकलन करके निष्कर्ष तक पहुँचने का प्रयास किया गया है।
4. शोध का उद्देश्य
भारतीय राजनीति मे मतदान व्यवहार तमाम कारणों से प्रभावित होते रहे है जिसमें जाति, भाषा, क्षेत्र और धर्म ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आजादी के 74 वर्ष पूर्ण होने के बाद भी हमारे संसदीय निर्वाचन में होने वाले मतदान व्यवहार को प्रभावित करने मे कई आंतरिक एवं बाह्य कारक कार्य करते है अतः इस शोध का मुख्य उद्देश्य यह जानना है कि जैदपुर विधान सभा में उपरोक्त में से कौन से कारक मुख्य रूप से प्रभावी है।
5. शमलूवतके. मतदान व्यवहार, संसदीय लोकतंत्र, निर्वाचन, पंथनिरपेक्षता, संविधान, सार्वभौम मताधिकार म्टडए म्च्प्ब्ए छव्ज्।ए टटच्।ज्एइन्टरनेट, सोशल मीडिया ।
6. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि –
भारत स्वतंत्रता से पूर्व ब्रिटिश भारत था जो कि ब्रिटेन की देख-रेख में था लेकिन तत्कालीन समय के मूल नागरिको को किसी भी प्रकार के अधिकार एवं शक्तियाँ प्राप्त नहीं थी। एक लम्बे स्वतंत्रता आंदोलन के परिणाम स्वरूप देश को आजादी मिली। तमाम विरोधांे के बाद भी स्वतंत्रता सेनानियों में सामान्य समझ यह थी कि स्वराज्य ही वह व्यवस्था है जहाँ निम्नतम ,घृणाशील जीवन से छुटकारा मिल सकता है और स्वराज्य के शासन में खुद की चुनी हुई सरकार में देश के नागरिको के लिए कल्याण कारी नीतियाँ और कार्यक्रम सम्पादित हो सकते है। आजादी के बाद निष्पक्ष एवं स्वतंत्र मतदान व्यवहार हेतु संविधान में काफी व्यापक प्राविधान किया गया है जिससे की समस्त नागरिक जनों की जीवन शैली को उत्तम व बेहतर बनाया जा सके और सुधार लाया जा सके। आजादी के बाद कई सारी संवैधानिक संस्थाएँ अस्तित्व में आई जिनमें प्रमुख संस्था निर्वाचन आयोग थी। 1950 में अस्तिव में आने के बाद में भारत की राजव्यवस्था व शासन में एक व्यापक बदलाव देखने को मिला है। अपनी स्थापना के मात्र दो वर्ष पश्चात आम चुनाव आयोजित कराए जो भारत जैसे देश के लिए आविष्कार था।
भारत के संविधान में अनुच्छेद 324 से 329 तक निर्वाचन सम्बन्धी प्राविधान किए गए है। इस संस्था ने लोकतंत्र की जीवन्तता को बनाए रखने में अपना प्रमुख योगदान दिया है। स्वतंत्र, निष्पक्ष, स्थिर चुनाव आयोजित करने की दिशा में यह निरन्तर आगे बढ़ रही है। निर्वाचन आयोग के पास सलाहकारी एवं अर्द्धन्यायिक शक्तियाँ प्राप्त है। निर्वाचन आयोग ने स्वतंत्रता, समानता एवं अखण्डता को बनाये रखने हेतु उचित नैतिक भागीदारी की बढोत्तरी हेतु नित नए कदम उठाए है। इस दिशा में निरन्तर बढ़ोत्तरी लिए कार्य किया जा रहा है जिससे चुनाव में लोगों की हिस्सेदारी, भागीदारी जन सहभागिता तथा प्रतिनिधियों के निर्वाचन में नागरिको को किसी प्रकार की बाधा आगे ना आये ।
7. सामान्य चुनाव में मतदान व्यवहार
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद प्रथम बार ऐसा समय आया जब भारत के नागरिकों ने अपनी चुनी हुई सरकार देने का महत्वपूर्ण फैसला किया। प्रथम आम चुनाव में तमाम सारी दिक्कते थी जिसमें निम्न शैक्षणिक दर, जागरूकता का आभाव, संचार का आभाव , नई व्यवस्था से अपरिचित, गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, पलायन ये संकट गम्भीर रूप से विद्यमान थे। इन सबके बावजूद भी प्रथम आम चुनाव में 51ः लोगों ने मतदान में भाग लिया। 17.32 करोड़ लोग मतदान के योग्य थे। 53 राजनीतिक दलों ने चुनाव लड़ा और कुल 489 सीटों के मुकाबले 849 उम्मीदवारो ने में हिस्सा लिया।जिसमें लगभग 45ः मतदान हुआ। द्वितीय आम चुनाव में 494 सीटों पर चुनाव हुआ। जिसमें 19.39 करोड़ के आस-पास पंजीकृत मतदाता थे। 47.8ः लोगो ने वोट डाले। तृतीय आम चुनाव में 508 सीटों के मुकाबले 494 चुनी गई। 21.63 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे। 44.73ः लोगो ने वोट डाले । चौथे आम चुनाव में लगभग 25 करोड़ मतदाता पंजी.त थे। 15.27 करोड़ लोगों ने मतदान किया। 40.78ः मतदान हुआ। 16 वें आम चुनाव में 83.40 करोड़ मतदाता थे जिसमें से 55.41 करोड़ कुल वोट पड़े। इस तरह अगर हम देखे तो शुरुआत में मत प्रतिशत अधिक था, किन्तु बाद के चुनाव में मतदान प्रतिशत में कमी होने पर भारत निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन में भागीदारी बढ़ाने के लिए निरन्तर प्रयत्नशील है। कम मतदान प्रतिशत स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए बेहद चिन्ताजनक बात थी इसलिए निर्वाचन आयोग मतप्रतिशत को बढ़ाने के लिए चिन्तित एवं सजग है।
8. मतदान व्यवहार में सुधार हेतु प्रयास
चुनाव सुधार से सम्बंधित कई समितियाँ अस्तित्व में आई है जिन्होंने चुनाव की बेहतरी के लिए काम किया है। तारकुड़े समिति 1975, दिनेश गोस्वामी समिति 1990,वोहरा समिति 1993, इन्द्रजी गुप्त समिति 1998, एम.एन. वेंकेट चलैया राष्ट्रीय आयोग 2000-2002 चुनाव आयोग की रिपोर्ट 2004 जे.एस वर्मा समिति 2013 इन समितियों व रिपोर्टों की अनुसंशाओं के आधार पर भारतीय निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रणाली, चुनाव मशीनरी व चुनावी प्रक्रिया मे कई व्यापक सुधार होते रहे है और निरंतर दीर्घ भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु सुधार किये जा रहे है। एवं संस्थात्मक स्तर पर सुधार जारी है जिसमे निम्न व्यापक सुधार किए गए है।
प्ण् 61वें संविधान संशोधन 1988 द्वारा वयस्क मतदान की उम्र को 21 से घटाकर 18 कर दिया।
प्प्ण् चुनाव प्रक्रिया में मतदाता सूची, पर्यवेक्षण एवं संशोधन में लगे पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों को निर्वाचन काम करते समय चुनाव आयोग में प्रतिनियुक्त माना जायेगा।
प्प्प्ण् चुनाव में फर्जी मतदान, बूथ कैपचरिंग को रोकने व स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव, शीघ्र चुनाव के लिए म्टड का प्रयोग किया जायेगा।
प्टण् फर्जी मतदान को रोकने के लिए 1993 से फोटो मतदाता पहचान पत्र जारी किया गया।
टण् चुनाव में उम्मीदवारी पेश करने वाले व्यक्ति को अपने क्षेत्र के 10 मतदाताओं के हस्ताक्षर प्रस्तावक के रूप मे होने चाहिए।
टप्ण् मतदान के दिन कर्मचारियों को वेतनिक अवकाश का प्राविधान किया गया ।
टप्प्ण् कोई भी व्यक्ति लोकसभा या विधानसभा में एक साथ दो क्षेत्रों से चुनाव नहीं लड़ सकेगा।
टप्प्प्ण् चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार की मृत्यु की दशा में अब चुनाव रद्द होने की बजाय राजनैतिक दल को 7 दिन के भीतर दूसरे उम्मेदवार का नाम देना होगा।
प्ग्ण् नामांकन से चुनाव प्रचार की सीमा को 20 से घटाकर 14 दिन कर दिया गया है।
ग्ण् मतदान खत्म होने के 48 घन्टे पूर्व सभी मदिरालय बंद कर दिये जाते है और यदि कोई मदिरालय खुलता है तो 6 माह की कैद या 2000 जुर्माना लगेगा।
ग्प्ण् मतदान केन्द्र के पास हथियार या अस्त्र-शस्त्र ले जाना प्रतिबंधित है।
ग्प्प्ण् चुनाव के दौरान न्यूज चौनलों पर एग्जिट पोल दिखाने पर रोक लगाई गई है।
ग्प्प्प्ण् अगम्भीर लोगों को निर्वाचन में शामिल होने से रोकने के लिये जमानत राशि को 10,000 से बढ़ाकर 25000 कर दिया गया है।
ग्प्टण् विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार प्रदान किया गया।
ग्टण् सर्वाेच्च न्यायालय के निर्देश पर मतदाता को छव्ज्। का विकल्प प्रदान किया गया ।
ग्टप्ण् स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी व्यवस्था को बनाने के लिये टटच्।ज् का प्रयोग किया गया है जिससे वो अपने मतदान को सत्यापित कर सके और देख ले कि उसका मत उसी के पसंद के उम्मीदवार को मिला है।
ग्टप्प्ण् मई 2015 के बाद होने वाले किसी भी चुनाव में उम्मीदवारों के नाम , फोटो, पार्टी का नाम व निशान सभी प्रकाशित रहेंगे ताकि मतदाताओं में भ्रम न रहे।
इम सभी प्रयासों से चुनाव आयोग ने व्यापक सुधार किये है जिनसे मतदाताओं के बीच निर्वाचन प्रक्रिया में विश्वास, निष्पक्षता,स्वतंत्रता व पारदर्शिता का भाव जगा है तथा सभी मतदाता इस प्रकिया के निर्बाध प्रतिभागी बने है।
9. जैदपुर विधान सभा में मतदान व्यवहार
जैदपुर विधानसभा उत्तरप्रदेश के बाराबंकी जिले के 6 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है जिसकी संख्या 269 है। इस विधानसभा में भी आम विधान सभाओं की तरह अशिक्षा, जागरूकता का आभाव, बेरोजगारी, निम्नजीवन स्तर, न्यूनतम आय, निम्न स्वास्थ्य समस्याएं आज भी बनी है जिसका प्रभाव यहाँ के मतदान व्यहार पर स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है। यहां एक तरफ गाँव में रहने वाली विशाल आबादी कृषि कार्य से सम्बन्धित है वही दूसरी तरफ काफी बड़ी आबादी कस्बों में निवास करती है। रोजगार, व्यापार, दुकान आदि का कार्य करते हैं। जाति, धर्म के आधार पर विश्लेषण करे तो इस पूरे विधान सभा क्षेत्र में भिन्न-भिन्न जातियों एवं धर्मों का प्रभाव प्रत्येक मतदान केंद्र पर है। यहाँ का वातावरण, शिक्षा, कृषि व्यवस्था एवं अन्य कार्यों का प्रभाव मतदाता के मतदान व्यवहार एवं निर्वाचन प्रक्रिया पर स्पष्ट दिखाई पड़ता है। यही कारण है कि पिछले कई वर्षों से इस विधानसभा क्षेत्र में निर्वाचित प्रतिशतता का आँकड़ा अन्य क्षेत्रों की तुलना में कम है जो कि विचारणीय है।
10. जैदपुर विधानसभा क्षेत्र मतदान प्रतिशत कम होने के कारण
जैदपुर विधानसभा के 30 बूथों का दैव निदर्शन पद्धति से सर्वेक्षण किया गया जिसका विश्लेषण करके हमे ज्ञात हुआ कि मतदान प्रतिशत होने के कारण कुछ महत्वपूर्ण कारण निम्न है।
प्ण् मतदान केन्द्रों की जानकारी बहुत लोगों को अशिक्षित व निरक्षर होने के कारण नहीं हो पाती है जिसके कारणचुनाव के दिन वो परेशान हो जाते हैं और मतदान करने नही जाते हैं और मतदान प्रतिशत कम हो जाता है।
प्प्ण् मतदाता पर्ची समय से प्राप्त नहीं होती है, जिससे उन्हें मतदाता संख्य, बूथ संख्या पता नहीं चलती है।
प्प्प्ण् मतदाता अपने मत के मूल्य के प्रति अनभिज्ञ है तथा प्रतिनिधि लोकतंत्र की समझ उन्हें नहीं है। और नैतिक मतदान के प्रति संजीदा नहीं है।
प्टण् मतदाता सामूहिक कार्यों एवं सामूहिक भागीदारी की अपेक्षा अपने व्यक्तिगत कार्यों व स्वहितों को ज्यादा महत्व देते हैं एवं उनको अपने निजी तत्कालिक हित दिखाई पड़ते है और मतदान के प्रति वह सुस्त रहते है यदि मतदान की तिथि फसल कटाई या बुवाई के समय होती है तो मतदान को गम्भीरता से नहीं लेते है।
टण् यहाँ के लोग मतदान के दिन आलस्य करते है, उन्हें मतदान अनावश्यक लगता है और उस तिथि के अवकाश को घूमने या आराम करने में व्यतीत करते है। निर्वाचन में सहभागिता एवं उत्तरदायित्व के प्रति संवेदनशील नहीं होते है।
टप्ण् यह क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है 40ः आबादी अनुसूचित जाति की है और 25ः मुस्लिम आबादी है। क्षेत्र में कृषि ही रोजगार का साधन है अतः बहुत से मतदाता जीविकोपार्जन के लिये बड़े शहरों एवं मध्य एशिया के देशों में चले गए है अतः मतदान के दिन वह उपस्थित नही होते है।
टप्प्ण् यहाँ पर चुनाव में जातीय एवं धार्मिक गणित काफी प्रभावी है जिससे यदि लोग अपने धर्म या जाति के उम्मीदवार को चुनाव में ना पाने पर मतदान करने नहीं जाते हैं।
टप्प्प्ण् जैदपुर विधान सभा क्षेत्र में युवा मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है जो मतदान के प्रति अति उदासीन है उन्हें लगता है कि सरकार उनकी बात को अनसुना कर रही हो और कार्य ना कर रही हो अतः युवाओं में मतदान के प्रति उत्सुकता नहीं है। 2012 में राजनीतिक पार्टी के लोगों ने बेरोजगारी भत्ते को संकल्प पत्र में शामिल किया था जिससे मतदान प्रतिशत 64ः हो गया था किंतु लोकसभा चुनाव 2014 में घटकर 62ः हो गया ।
प्ग्ण् जैदपुर में नेताओं के भ्रष्टाचारी आचरण के कारण भी नागरिक मतदान प्रक्रिया में शामिल नहीं होना चाहते उन्हें ऐसा लगता है कि वह भ्रष्ट शासन को ही वोट डाल रहे हैं।
ग्ण् राजनीति में धनबल व बाहुबल के कारण बुद्धिजीवी व सामान्य जन अपने को चुनावी प्रक्रिया से अलग रखते है।
ग्प्ण् सामाजिक कुरीतियों व महिलाओं की सुरक्षा के प्रति चेतना उनको मतदान केन्द्र तक ले जाने में समस्या उत्पन्न करती है। जब युवा महिला विवाह करके आती है। तो लम्बे समय तक उसका नाम मतदाता सूची में नही पड़ता और जहाँ से वह आती है वहाँ भी दूरी की वजह से मतदान नहीं करने जा पाती है। इसलिए यहाँ महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों की अपेक्षा कम है।
ग्प्प्ण् चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा विकास, बेहतर नीति, लोक कल्याण, रोजगार,सुरक्षा वृद्धि आदि वादे करते हैं परन्तु चुनाव के बाद विजयी प्रत्याशियों द्वारा मतदाताओं की उपेक्षा होने से वह अपने को ठगा हुआ महसूस करते हैं और भविष्य में चुनाव प्रक्रिया से दूर रहने का मन बना लेते हैं।
ग्प्प्प्ण् सरकारी मशीनरी व जनता के मध्य संचार का आभाव मतदान व्यवहार में समस्या उत्पन्न करती है। यह देखा गया है कि ठस्व् को अपने मूल कार्य के साथ ही मतदाता पुनर्निरीक्षण का कार्य भी करना रहता है जिसके कारण मतदाता सूची के त्रुटि होने के कारण निर्वाचक मतदाता अनुपात सही होने की सम्भावना कम हो जाती है।
ग्प्टण् सामान्यतया राजनीतिक दल चुनाव में हार की जिम्मेदारी म्टड को देते हैं जिससे सन्देह का वातावरण बनता है। जिसका प्रभाव मतदान व्यवहार पर पड़ता है इसलिए निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन की प्रामाणिकता व पारदर्शिता बनाये रखने के लिए टटच्।ज् का प्रयोग प्रारम्भ किया ।
ग्टण् इस क्षेत्र में संचार के साधनों की भूमिका काफी सीमित है जिस वजह से लोगो में निर्वाचन के प्रति जागरुकता कम है।
ग्टप्ण् कई लोगो का नाम मतदाता सूची में गलत प्रविष्ट होने के कारण मतदान प्रक्रिया से वंचित रह जाते है ।ऐसे लोगों की संख्या 1ः है।

11. जैदपुर विधानसभा क्षेत्र में मतदान व्यवहार में सुधार के उपाय
प्ण् मतदाता सूची का पुनर्निरीक्षण समय -समय पर पूरी सक्रियता के साथ किया जाए और छूटे हुए लोगों का नाम दर्ज कराया जाए।
प्प्ण् स्थानीय स्तर पर कैम्प लगाकर प्रचार प्रसार कर लोगो का नाम मतदाता सूची में पंजी.त किया जाए।
प्प्प्ण् महाविद्यालयों में सामान्यता 18 वर्ष से ऊपर के लोग प्रवेश लेते हैं यहाँ कैम्प लगाकर युवाओं का नाम मतदान सूची में दर्ज कराया जाए द्य जिससे मतदाता सूची शुद्ध बनेगी और मतदान प्रतिशत भी बढ़ेगा।
प्टण् मतदान व्यवहार में मतदाता साक्षरता क्लबों की महत्वपूर्ण भूमिका है परन्तु यहाँ इनकी संख्या मात्र 20 है जिसे 50 तक बढ़ाया जा सकता है।
टण् मतदाता साक्षरता क्लब यदि ठीक से चुनाव पत्रिका – लोकतंत्र की दीवार, बैलट बोस्टो, युवा मतदाता महोत्सव तथा सोशल मीडिया के माध्यम से मतदाताओ को प्रशिक्षित करने का काम करे तो निश्चित ही शत- प्रतिशत मतदान के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
टप्ण् ग्रामीण क्षेत्र में चुनाव पाठशाला का आयोजन, बी.ए.जी.(बूथ अवेयरनेस ग्रुप) का गठन विद्यालयों के शिक्षकों व ठस्व् के माध्यम से लगातार करवाया जाये तो मतदाता सूची को त्रुटिहीन बनाने व मतदान व्यवहार को बढ़ाने में यह सहायक हो सकता है?
टप्प्ण् राष्ट्रीय सेवा योजना ,एन.सी.सी, नेहरू युवा केन्द्र तथा गैर सरकारी संस्थाओं की मदद से जन सम्पर्क अभियान चलाकर मतदाताओं की कठिनाई को समझकर समाधान किया जा सकता है।
टप्प्प्ण् लोगों में मतदान के प्रति सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए मतदाता महोत्सव का आयोजन किया जाए जिससे मतदान व्यवहार पर प्रभारी प्रभाव पड़ेगा ।
प्ग्ण् मतदान केन्द्रो तथा बूथ के निर्धारण में कई बार दूरी का ध्यान नही रह पाता है अतः हर मतदाता को उसके घर के नजदीक का बूथ ही निर्धारित किया जाना चाहिए जिससे उसे मतदान करने में आसानी हो।
ग्ण् बूथों पर सभी मूल-भूत सुविधाओं की व्यवस्था किया जाए जिसमें स्वस्थ्य पेय जल ,छाँव आदि की उचित व्यवस्था हो। मतदान कार्मिकों का व्यवहार मतदाताओं के प्रति सहयोगात्मक ,प्रेरक एवं सम्मानजनक होना चाहिये।
ग्प्ण् भारत में त्रिस्तरीय राज्य संरचना है अतः तीनों स्तरों के लिए एक ही मतदाता सूची यदि बनाई जाए तो निर्वाचन प्रक्रिया सरल हो सकेगी ।
ग्प्प्ण् चुनाव में किसी प्रकार की हिंसा, दल-बदल, शरीद-फरोश्त का समावेश नही होना चाहिए।
ग्प्प्प्ण् नागरिक समाज के ही व्यक्ति होते है जो शान्ति व सुरक्षा में रहना चाहते है इसलिए सुशासन नागरिकों को मतदान व्यहार के लिए प्रेरित करता है।
ग्प्टण् त्रिस्तरीय प्रणाली के कारण 5 वर्ष में 3 बार चुनाव होते हैं अधिक चुनाव होने से मतदाताओं में मतदान के प्रति नीरसता आ जाती है इसलिए एक देश एक चुनाव के सिद्धान्त पर काम होना चाहिए।
वर्तमान शताब्दी सूचना व प्रौद्योगिकी की सदी है इसलिए नवीन तकनीकी का प्रयोग मतदान प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने के लिए किया जाना चाहिए। मतदाता सूची को आधार से जोड़ा जाना चाहिए। और मतदान की भी यदि ऑनलाइन व्यवस्था की जाए तो ऐसे लोग जो अलग-अलग कारणों से अपने बूथ पर नहीं पहुंच सकते है वो भी मतदान कर सकते हैं। मतदाता सूची भी शुद्ध बन सकेगी।और शत प्रतिशत मतदान के लक्ष्य तक पहुँच सकते है।
12. निष्कर्ष
मतदाताओं को शिक्षित एवं जागरूक करके उन्हें मतदान के लिए प्रेरित करके ही मतदान व्यवहार में परिवर्तन लाया जा सकता है इसके लिए मतदाताओं को मतदान के महत्व से अवगत कराना होगा ।जैदपुर विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2017 में कुल मतदान प्रतिशत 68ः हुआ जबकि यहाँ मतदाता जनसंख्या अनुपात 54ः ही था। बाराबंकी जनपद का मतदाता जनसंख्या अनुपात 57ः है जो कि सामान्य 61ः से 4ः कम है। जबकि जैदपुर विधान सभा क्षेत्र का 7ः कम है। जैदपुर विधान सभा में मतदान व्यवहार को बढ़ाने के लिए शोध कार्य किया गया। जिससे इसके निष्कर्षों को अपनाया जाए तो मतदान व्यवहार को बढ़ाया जा सकता है। सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि 10ः मतदाता रोजगार के लिए पलायन कर गये है और उनके लिए मतदान से आवश्यक उनका रोजगार है इसलिए मतदान करने के लिए वह काम छोड़कर नहीं आए। इसीलिए यहाँ मतदान व्यवहार में कमी देखी गई। इसलिए आवश्यक है कि संचार माध्यमों से पोस्टल बैलेट की जानकारी हर घर तक पहुंचानी चाहिए जिससे उन्हें पता चल सके कि वह कैसे वही से वह अपना वोट डाल सकते है।
मतदान व्यवहार बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि मतदाता सूची का पुनर्निरीक्षण हो, नए मतदाताओं को स्कूल ,कॉलेजों में मतदाता साक्षरता क्लब के माध्यम से जोड़ा जाए। लोगों को मतदाता पंजीकरण ऑनलाइन प्रक्रिया की जानकारी हो, लोगों को लोकतंत्र की शक्ति से अवगत कराया जाए जिससे मतदान के लिए प्रेरित हो। मतदान प्रक्रिया को सरल व सुलभ बनाया जाए। मतदान केन्द्रों पर लम्बी लाइनों से बचने के लिए बूथों की संख्या बढ़ाई जाए।
मतदान के प्रति जागरूकता के लिए सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया का प्रयोग किया जाए। लोकतन्त्र की निर्वाचन प्रक्रिया निष्पक्ष व पारदर्शी हो। मतदाता पर्ची को ऑनलाइन डाउनलोड करने की सुविधा हो। अतः अन्तत हम यह कह सकते हैं कि यदि जनता के सहयोग से हम इन कार्यों को करे तो जैदपुर विधान सभा के मतदान व्यवहार को आशा के अनुरूप प्राप्त किया जा सकता है।

संदर्भ-सूची
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